बिल्कुल सही कहते हैं लोग🙂
चार दिन गायब होकर देखिए,
सब आपको भूल जाएंगे।
🌹🌹🌹🌹🌷🌷
लेकिन क्या करें🙂☹️
चार दिन साथ चल लें,
स्नेह जकड़ लेता है।
बाहरी व्यक्तित्व तो मात्र,
क्षणिक आकर्षण देता है।
नजदीकियों की गुफ्तगू,
कुछ लगाव बढ़ाती है।
लेकिन,☹️☹️☹️
कुछ संभालो अपने को यारों
जगत भौतिक हो चला है,
दिमाग़ की दिल पर हुकूमत का,
सिलसिला आज आम हो चला है।🌷🌹🌷🌹🌷🌹
मौलिक- डी पी माथुर - अंजय
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-07-2021को चर्चा – 4,119 में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
आपका बहुत बहुत आभार
DeleteRight👍👍👍
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार
Delete"चार दिन गायब होकर देखिए,
ReplyDeleteसब आपको भूल जाएंगे।" - पर कुछ छोड़ कर जायेंगे "सब" के लिए तो सब जरूर याद रखेंगे .. शायद ...😃😃😃
आपका बहुत बहुत आभार
Deleteकुछ संभालो अपने को यारों
ReplyDeleteजगत भौतिक हो चला है,
दिमाग़ की दिल पर हुकूमत का,
सिलसिला आज आम हो चला है।
वाह👌👌
आपका बहुत बहुत आभार
Delete