Search This Blog

Thursday, July 01, 2021

गणतंत्र

 आओ,

72 वां गणतंत्र मनाएं,

प्रेम सौहार्द की सरिता बहाएं ! 

इंसानियत के रेशमी धागों से, 

गणतंत्र की चादर बुन जाएं!

आओ, 72 वां गणतंत्र मनाएं! 


तीर तलवारें बहुत चल चुकी,

अब कलम की धार दिखाएं !

निरक्षरता का कलंक मिटा कर, 

बलिदानियों को नमन कर जाएं!

लोकतंत्र को सशक्त बनाकर, 

नाचते गाते उत्सव मनाएं !


इंसानियत के रेशमी धागों से, 

गणतंत्र की चादर बुन जाएं!

आओ,

72 वां गणतंत्र मनाएं, 

प्रेम सौहार्द की सरिता बहाएं।।


स्वरचित- डी पी माथुर

No comments:

Post a Comment