रूठे है जो, उनको गले लगा लो !
बिछड़े हैं जो, उन्हें पास बुला लो !
भूलकर शिकवे, साथ बिठा लो !
रूठे है जो, उन्हें गले लगा लो ।।
नजरें मिला, बस बाहें फैला लो !
वैर भाव भूल, फिर से अपना लो !
समय फिसल, फासले बनाए !
उससे पहले, स्वयं को संभाल लो!
रूठे है जो, उनको गले लगा लो।।
हार्दिक शुभकामनायें
स्वरचित- डी पी माथुर
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