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Friday, November 01, 2019

करीब रहने दो



दिल के करीब हैं, करीब रहने दो।
पल दो पल के जीवन में,
सुकून देता है, दोस्ती का भ्रम।
मुस्कुराने के लिए ही सही
कुछ भ्रम ही, बना रहने दो ।
कर्जदार हूं, आपके स्नेह का
मुझ पर इसे उधार रहने दो।
अपनों की याद दिलाता है ये कर्ज़
चूक ना जाय, मुझे कर्ज़दार रहने दो।

स्वरचित पंक्तियां दोस्तों को समर्पित :- डी पी माथुर जयपुर

Friday, October 25, 2019

आओ मन के दीप जलाएं


आओ मन के दीप जलाएं
कुछ मन का अंधियारा मिटाएं।
रूप चतुर्दशी में निखर
चेहरों पर मुस्कान खिलाएं।
हरी भरी फसलों की क्यारी
खेत खेत लहलहाए।
सुख समृद्धिए धन धान्य
घर घर खुशहाली लाएं।
आओ मन के दीप जलाएं………………

सूरज की ज्योति से लेकर
हम सब भी एक दीप जलाएं।
पनप रहे मन के जालों को
नव चेतन से दूर भगाएं।
बिछूड गए जो अपने उनको
फिर से गले लगाएं।
मिल.जुल कर कुछ अपनों से
चहूं ओर खुशियां फैलाएं।
घर सजा रंग रोगन से
मन में भी नई ऊर्जा लाएं।
आओ मन के दीप जलाएं………………….


असंख्य टिमटिमाते तारों संग
कुछ जगमग से दीप मिलाएं।
दीप शिखाओं की श्रंखला में
मन का भी एक दीप जलाएं।
मां लक्ष्मी के स्वागत से
हर घर  हर चेहरा खिल जाएं।
तन मन के दीपक में
आत्मीयता की बाती बनाएं।

आओ मन के दीप जलाएं
कुछ मन का अंधियारा मिटाएं।

स्वरचित. डी पी माथुर जयपुर