खुशियों से भरा दिन, तुम्हारा जन्मदिन,
कभी टप टप तो कभी फुहार से रंगीन,
चहुं ओर खुशियां बिखेरता, तुम्हारा जन्मदिन।
सोचा, कोई तोहफा अर्पण करूं,
खोज ना सका।
तुम्हारे, समर्पण के आगे, सब गौण सा लगा।
सोचा, कोई लिबास भेंट करूं,
खरीद ना सका।
तुम्हारे, वृहत आवरण से, सब तुच्छ सा लगा।
दिल बोला, निराश ना हो,
मात्र स्नेह ही छलका देना, अपने बोलो में।
तुम्हारे निश्छल प्रेम के आगे, मेरा स्नेह भी बौना सा लगा।
मात्र, गुलाब गुच्छ की महक,
तुम्हारे व्यक्तित्व सी लगी,
खिली खिली, महकी महकी,
वही अर्पण है,
इससे महकता रहे सम्पूर्ण दिन,
मुबारक हो आपको, प्यारा सा जन्मदिन।
मौलिक - प्रीति के जन्मदिन पर डीपी की कलम से
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