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Monday, July 25, 2022

तुम्हारा जन्मदिन

 बरसती बारिश की,

अमृत बूंद हो तुम! 

खामोशी में छिपी, 

मेरी लफ्ज हो तुम! 

तन्हाई में याद बन, 

हर पल संग हो तुम! 

उदासी के क्षणों की, 

मात्र राजदार हो तुम! 

जमाने से, बढ़ती दूरियों में, 

दिल के नजदीक हो तुम! 

मेरी, सबसे मुलाकातों में, 

रूह सी मौजूद हो तुम! 

और तो क्या कहूँ, बस, 

मेरी, हर सांस में बहती, 

प्राण रूप में सर्वस्व हो तुम!! 


प्रीति के जन्मदिन पर मेरी भावनाओं के स्वरचित बोल- डी पी माथुर

Friday, September 24, 2021

गाँव

 तीन दिन गांव में 


शहर की भीड़ से दूर,गावं में,

देश की संस्कृति को जाना!

दरकते, बिखरते रिश्तों से दूर,

आत्मीयता को, कुछ करीब से जाना!

लहलहाते खेतों से फैली हरियाली को,

फूलों की महक, चिड़ियों की चहक में देखा!

पुराने बरगद की छांव में,

भोले भाले, लोगों को सुस्ताते देखा!

सच इन तीन दिनों में,

प्रकृति की मदमस्त हवाओं को, संगीत बन गुनगुनाते देखा।।

स्वरचित- डी पी माथुर

Wednesday, September 22, 2021

श्राद

श्राद

किसे याद करूं, भूल ही नही पाया हूँ, 

किसका श्राद करूं, जिसने हर निवाला दिया है l

मन- मस्तिष्क, स्मृतियों में अंकित, अमिट, 

फिर भी, तिथि जो श्राद की आई है l

शांत समुंद्र में ,यादों का ज्वार सा बन

डबडबाए नयनों से उमड़, बहती अश्रुधारा l

हाथों में तर्पन के अक्षत, तिल

अर्पण के बोलों को, रोकता रुंधा कंठ

पूजन, श्राद की औपचारिकता ll


श्राद पर मेरी कलम का ह्रदय से संगम यह रचना कर पाया

स्वरचित- दुर्गा प्रसाद माथुर

Sunday, August 15, 2021

स्वतंत्रता दिवस-1

 

 

जन जन में गुणगान,

मां भारती का ध्यान ।।

माटी जैसे चंदन महके,

नाम है हिन्दुस्तान ।।

जन जन में गुणगान,

मां भारती का ध्यान ।।

स्वतंत्र भावस्वतंत्र तंत्र,

स्वतंत्र बोली और परिधान ।।

धन्य हुआ मैं जन्म लेकर,

मेरा न्यारा हिन्दुस्तान ।।

बच्चा बच्चा सैनिक बन,

बढ़ाता तिरंगे की शान ।।

अश्रुपूरित नयनों में,

वीर शहीदों का बलिदान ।।

प्रेम भावना, अमन चैन,

करता सबका कल्याण ।।

देश प्रेम के जयकारे से,

गूंज उठा आसमान ।।

जन जन में गुणगान,

मां भारती का ध्यान ।।

स्वरचित - डी पी माथुर

स्वतंत्रता दिवस


 

Wednesday, July 21, 2021

तोहफा

 खुशियों से भरा दिन, तुम्हारा जन्मदिन,

कभी टप टप तो कभी फुहार से रंगीन,

चहुं ओर खुशियां बिखेरता, तुम्हारा जन्मदिन।


सोचा, कोई तोहफा अर्पण करूं,

खोज ना सका।

तुम्हारे, समर्पण के आगे, सब गौण सा लगा।


सोचा, कोई लिबास भेंट करूं,

खरीद ना सका।

तुम्हारे, वृहत आवरण से, सब तुच्छ सा लगा।


दिल बोला, निराश ना हो,

मात्र स्नेह ही छलका देना, अपने बोलो में।

तुम्हारे निश्छल प्रेम के आगे, मेरा स्नेह भी बौना सा लगा।


मात्र, गुलाब गुच्छ की महक,

तुम्हारे व्यक्तित्व सी लगी,

खिली खिली, महकी महकी,

वही अर्पण है, 

इससे महकता रहे सम्पूर्ण दिन,

मुबारक हो आपको, प्यारा सा जन्मदिन।


मौलिक - प्रीति के जन्मदिन पर डीपी की कलम से

Monday, July 12, 2021

वर्षा

 अभी बारिश की बरसती बूंदों में मन के उदगार...


बरसती बूंदों से बरसती उमंग,

कुछ पुष्पों पर, कुछ पत्तियों पर,

कुछ पत्थर पर,

कुछ मखमली कलियों पर,

अंत में ढलक कर ,समाती

ज़मीं के आगोश में

प्रकृति को फिर से जवां कर,

दायित्व निभाती अपने होने का,

और एक संदेश दे जाती,

इंसा को, कर्तव्य निभाने का,

सहेज लेने का इस अमृत को,

भर देने को आंचल में खुशियां

धरा के हर सृजन में।

स्वरचित;-

डी पी माथुर