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Monday, July 12, 2021

वर्षा

 अभी बारिश की बरसती बूंदों में मन के उदगार...


बरसती बूंदों से बरसती उमंग,

कुछ पुष्पों पर, कुछ पत्तियों पर,

कुछ पत्थर पर,

कुछ मखमली कलियों पर,

अंत में ढलक कर ,समाती

ज़मीं के आगोश में

प्रकृति को फिर से जवां कर,

दायित्व निभाती अपने होने का,

और एक संदेश दे जाती,

इंसा को, कर्तव्य निभाने का,

सहेज लेने का इस अमृत को,

भर देने को आंचल में खुशियां

धरा के हर सृजन में।

स्वरचित;-

डी पी माथुर

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