- आपको भावुक कर दूं ,
ऐसा मेरा मकसद नही !
आपसे बढ़ाई के दो बोल सुनु ,
ऐसी मेरी फितरत नही !
कोशिश मात्र इतनी है ,
मन के भाव बतला सकूं !
दिल में छिपा है क्या ,
आपको भी दिखला सकूं !!
- कलम की रतार दिखला सकूं ,
एक क्षण ही सही,
आपकी चिंताएं मिटा सकूं !
पढ़कर आप मुस्कुराएं ,
तो पीठ अपनी थपथपा सकूं !!
दिल में छिपा है क्या , आपको भी दिखला सकूं !!
- मन की पीड़ा मिटा सकूं ,
कुछ राहत मन को दिला सकूं !
चारों और खिंच गई ,
हर दीवार गिरा सकूं !
सालों से जमती रही ,
मन की गर्त हटा सकूं !!
दिल में छिपा है क्या , आपको भी दिखला सकूं !!
- चाहता हूँ ,मन को अपने,
मस्ती में लहरा सकूं !
विदाई में तुम्हारे ,
हाथ मैं भी हिला सकूं !
सीने में क्या छिपा है ,
बिना चीरे ही दिखला सकूं !
दिल में छिपा है क्या , आपको भी दिखला सकूं !!
- चाहता हूँ ,
जीवन में लगी तमाम शर्तो को,
एक ही पल में हटा सकूं !
फिर से जीने के लिए,
नई बुनियाद बना सकूं !
अनजाने में बन गई ,
हर दूरी मिटा सकूं !
यादों में तुम्हारी खो, दो बोल गुनगुना सकूं !!
कोशिश मात्र इतनी है ,
दिल में छिपा है क्या , आपको भी दिखला सकूं !!
पूर्व में ओ बी ओ पर प्रकाशित मेरी रचना ।
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