- सघन वृक्ष सा विशाल अडिग,
तपन में शीतलता देता !
तुफानों से हर पल लड़ता ,
फिर भी सदा सहज वो दिखता !
अपनी इन्हीं बातो के कारण ,
वो एक पिता कहलाता !
- कठोर सा यह दिखने वाला ,
दिल से कोमलता दिखलाता !
बेटी के दर्द से विचलित ,
डान्ट वरी माई डॉटर कहता !
पर उसकी विदाई पर वो ,
खुद को असहाय है पाता !
लाख चाहकर भी वो अपने,
अनवरत आँसू रोक ना पाता !
अपनी इन्हीं बातो के कारण ,
वो एक पिता कहलाता !
- बात बात पर डाँट लगाता ,
सुरक्षा का बोध कराता !
ममतामयी माँ भी जब डाँटे ,
पिता बचा ले जाता !
समाज की नित बंदिशों को ,
पिता तोड़ है पाता !
बेटी की एक चाहत पर वो ,
समाज से लड़ जाता !
बेटी को पढ़ा लिखा कर ,
नया केरियर दिलवाता !
अपनी इन्हीं बातो के कारण ,
वो एक पिता कहलाता !
“ ओ बी ओ पर प्रकाशित मेरी रचना ”
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