तुम्हें पा लिया है ,
ये भी तो मात्र एक भ्रम है !
जाने क्यूं लगता है ,रो दुंगा ,
हँस रहा हूँ ,
ये भी तो मात्र एक भ्रम है !
नदी के किनारों सा,
साथ चलते चलते ,
क्यूं समझता हूँ ,मिलन होगा !
अनवरत साथ बह पा रहा हूँ ,
ये भी तो मात्र एक भ्रम है !
जाने क्यूं समझता हूँ ,
तुम, ये, वो सब मेरा है !
शाष्वत सच ये कहता है ,
जो भोग लिया वो सपना है ! ,
जो उकेर दिया भाव ,वो अपना है !
प्रकृति का मात्र यही एक क्रम है !
सात जन्मों का साथ,
भी तो मात्र एक भ्रम है !
क्यूं यादों में खो जाते हैं ,
याद उन्हें कर जाते हैं ,
बगैर किसी के चाहे भी ,
ख्वाबों में बसा जाते हैं !
बिन उनके जी नही पायेंगे ,
प्यार का , ये कैसा क्रम है ,
जो सच ना होकर ,
मात्र मन का ही भ्रम है !
जीवन का हर छोटा पल ,
माँ की याद दिलाता है !
साया सा हरदम उसका,
निशछल अहसास कराता है !
प्यार भरी ममता के आगे ,
सब बौना रह जाता है,
यही मात्र एक ऐसा क्रम है ,
जो भ्रम नही , एक सच्चा क्रम है !
पूर्व में ओ बी ओ पर प्रकाशित मेरी रचना ।
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