भारत माँ कि स्वतंत्रता ,
एक प्यारा अहसास है।
जिसके एक एक कतरे में,
देशभक्तों का बलिदान है !
स्वयं की हस्ती मिटा कर,
आजादी हमें दिलाई है।
खुली हवा के झोंके सी,
खुशनुमा आभा बन पाई है।
निज छोटी चाहत पाने को,
हम आपस में लड़ जाते हैं।
अपने हाथों ही वतन को,
हम आहत कर जाते हैं।
हम मिलजुल एक प्रण कर जाएं,
सब अपना कर्तव्य निभाएं,
जाति धर्म क्षेत्र भुलाकर,
अमन चैन की बयार फैलाएं।
सीमा पर लड़ते जवानों का,
कुछ भार हल्का कर जाएं।
67 वर्षो की धरोहर ,
आज हम बचा ले जाएं।
एकता का स्वर बन जाएं ,
मन में नई उमंग भर जाएं।
शोषित-षोषण शब्द मिटाएं,
भाई चारा चहुं ओर फैलाएं।
किसी की जान ना जाने पाएं,
दुश्मन की सांस भर जाएं।
विकास की राह पर चलकर ,
फिर से नव स्वतंत्रता लाएं।
हम मिलजुल एक प्रण कर जाएं,
सब अपना कर्तव्य निभाएं,
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