लेकिन यह जानकर कष्ट हो रहा है कि कुछ असामाजिक तत्व इस वक्त अपने क्षणिक लोभ और लालच में आकर तीर्थ यात्रियों के साथ साथ वहाँ के पीड़ितों को भी लूटने का बेहद आमानवीय कृत्य कर रहे हैं तथा कुछ तथाकथित व्यापारी बन मानवीय-मूल्यों को ताक में रखकर पहले से ही आपदा और प्रकृति की मार झेल रहे भूखे-प्यासे लोगों से रोजमर्या तथा खाने के वाजिब दाम की जगह दस से पचास गुना ज्यादा रूपया वसूल रहे हैं।
इस भयावह प्राकृतिक आपदा में हमारी सेना के जवानों ने यह सिद्व कर दिया है कि उनका मुकाबला इस सम्पूर्ण विश्व में दूसरा नही हो सकता हमारी सरकार और स्थानीय प्रशासन से हमारी यही उम्मीद है कि इस बचाव कार्य की रफतार धीमें ना पड़ने पायें और तीर्थ यात्रियों के साथ साथ स्थानीय निवासीयों को भी वापस रहने लायक हर संभव सहायता मिले जिससे उन्हे आसानी हो ! देश की जनता को भी सहायता करने का कोई भी मौका और तरीका अच्छा लगे उसी प्रकार सहायता करनी चाहिए क्योंकि हमें यह याद रखना चाहिए कि इस प्रकार की त्रासदी कभी भी किसी जाती धर्म वर्ग या स्थान को देख कर नही आती ! हो सकता है आने वाले समय में हम भी इसी प्रकार भयावह प्राकृतिक आपदा या विषम परिस्थितियों में फंस जाएँ ! किसी की मदद करने में ही सही मायने में हम अपने मानव-धर्म का पालन कर सकते हैं।
किसी भी रूप में सहायता करने वालों को पुनः धन्यवाद करता हूँ !
No comments:
Post a Comment