अवसर है पावन मंगल , हर शख्स है पुल्कित , मन कहता है कुछ बोलूं कुछ खास नही पर दिल खोलंू मन कहता है कुछ बोलू
प्यारी हंसती इठलाती , बात बात पर शरमाती घर को स्वर्ग बनाती , बोलती और बुलवाती तन्हाई को दूर भगाती , सबके दिलों को छूती हम सब की आखें भिगोती , आज चली जायेगी पर याद बहुत आयेगी , सच आज चली जायेगी
पर याद बहुत आयेगी
कितना खुश था उसको पाकर , नित नये सपने सजाकर सब सपनो को सच वो करती , हम पर खुद न्यौछावर होती दर्द छिपाकर मुस्कराती , पंख फैलाकर उड़ती उड़ती सब की आखों में मोती दे, आज चली जायेगी
पर याद बहुत आयेगी
कहती है प्रकृति , पिता रहे गंभीर
जज्बात अपने दबाये , नसीहतो का अंबार लगाये
छिपाये आखों में नीर , दबाये प्यार की पीर
प्रकृति ने मजबूर बनाया , सच बेटी मैं ऐसा नही
जज्बात मेरे समझ पाना , जल्दी आना जाना
याद बहुत आयेगी
मैं भी माँ बनना चाहता हूँ , गले तुम्हारे लगना चाहता हूँ
पापा याद बहुत आते हो , बोल ये सुनना चाहता हूँ
सर मैं भी सहलाऊँगा ,क्या कभी माँ बन पाऊँगा
हम सब की आखें भिगोती , आज चली जायेगी
पर याद बहुत आयेगी
माँ है तेरी भोली भाली , सबका कष्ट है हरने वाली
नही संभल पायेगी , सच बिखर ही जायेगी
तू भी उसकी छाया बनती , नव परिवार में खुशियां देती
सबके अरमां पूरे करती , आज चली जायेगी
पर याद बहुत आयेगी
नही ये साघारण गुड़ियां , सच मे है गुणों की पुड़िया
कन्या घर्म निभाना हैे ,हमसे दूर जाना हैे
नव परिवार के आँगन में ,खुशियों का अंबार लगाना हैे
बेटी है आँखों का नूर , बस रहना नही हमसे दूर
तुम याद बहुत आओगी
खुशी के मोती छलकाएं , इसकी मैंे माफी चाहूँगा
झूठ मानता था तन्हाई , मुझे सच का एहसास कराती
सच आज चली जायेगी , पर याद बहुत आयेगी !!
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