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Wednesday, January 01, 2025

नया वर्ष

 *कैलेंडर तो, बदल गया है*

*क्यूँ ना हम भी, थोड़ा बदलें|*

उगते सूरज, की लाली से, 

नई उष्मा, स्वयं में भर लें |

बाकी रहे, जो काम अभी तक, 

सर्व प्रथम अब, उनको करलें |

*कैलेंडर तो, बदल गया है*

*क्यूँ ना हम भी, थोड़ा बदलें|*

सकारात्मक,  सोच बना हम, 

खुशियों से अपनी झोली भरलें |

नव पीढ़ी का स्वागत कर, 

बुजुर्गो के कष्टों को हरलें |

*कैलेंडर तो, बदल गया है*

*क्यूँ ना हम भी, थोड़ा बदलें|*

व्यथा सबकी जान जान हम, 

पीड़ा उनकी कुछ हरलें |

रखना स्वस्थ, खुशहाली देना, 

अपने प्रभु से विनती करलें |

*कैलेंडर तो, बदल गया है*

*क्यूँ ना हम भी, थोड़ा बदलें|*

अधूरे रहे अपने सपनों को, 

आओ,मिलकर पुरे करलें |

मन की, ऊँची उड़ानों को, 

कागज कलम से, कैद करलें |

*कैलेंडर तो, बदल गया है*

*क्यूँ ना हम भी, थोड़ा बदलें|*

छोटी छोटी, खुशी के पल में, 

कुछ हँसा लें, कुछ हँस लें |

हर,भारतवासी की झोली में, 

सब मिलकर, कुछ खुशियाँ भर दें |

*कैलेंडर तो, बदल गया है*

*क्यूँ ना हम भी, थोड़ा बदलें|*

स्वरचित - दुर्गा प्रसाद माथुर, जयपुर

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