बरसती बारिश की,
अमृत बूंद हो तुम!
खामोशी में छिपी,
मेरी लफ्ज हो तुम!
तन्हाई में याद बन,
हर पल संग हो तुम!
उदासी के क्षणों की,
मात्र राजदार हो तुम!
जमाने से, बढ़ती दूरियों में,
दिल के नजदीक हो तुम!
मेरी, सबसे मुलाकातों में,
रूह सी मौजूद हो तुम!
और तो क्या कहूँ, बस,
मेरी, हर सांस में बहती,
प्राण रूप में सर्वस्व हो तुम!!
प्रीति के जन्मदिन पर मेरी भावनाओं के स्वरचित बोल- डी पी माथुर