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Sunday, June 30, 2013

प्रकृति छल

 


  •         सुदूर देव पहाड़ियों में,

                     बादलों ,चट्टानों में जंग नजर आई !
             शांति की तलाश में भटकते इंसा को,
                      सृष्टि एक बार फिर छल पाई !


  •        पार्टियों की पार्टी में ,

                    मच गई कैसी हलचल !
             अनेकों भीगती आँखों के बीच ,
                    कुछ में ग्लिसरीन नजर आई !
             असली हो या नकली ,
                   हर तरफ मायूसी छाई !


  •       आसमां के कहर रूपी नीर की बूंद,

                    धरती के संग-संग हर आँख में समाई ! 
              किसी को प्रियजन की याद ने रूलाया,
                    किन्ही में हमेशा के लिये विरानी छाई !
              हर चेहरा निस्तेज,असहाय नजर आया,
                    रहनूमाओं की असलीयत दिख पाई !

  •        जब जब इंसा ने विज्ञान संग मिल,

                     प्रकृति से जीतने की चाह दिखलाई !
             प्रकृति ने अपने किसी खेल से,
                     इंसा को उसकी सीमा दिखलाई !
             इस बार फिर साँप सीढ़ी के खेल में ,
                    नीर रूपी साँप ने फुफकार लगाई !
             हमें असहाय देख प्रकृति मुस्कुराई ,
                  हमारी कोटी वापस नीचे नजर आई ! 

Monday, June 24, 2013

उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा

हमारे देश की देव भूमि उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा ने वहाँ गये तीर्थ यात्रियों के साथ साथ   वहाँ का जनजीवन भी अस्त-व्यस्त कर दिया है,, विषम परिस्थिति की इस घड़ी में हमें अपना धैर्य कायम रखते हुए सच्चा मानव धर्म निभाना है, विभिन्न टी वी चैनलों पर दिखाई गई एवं अखबारों की जानकारी के अनुसार वहाँ लगभग सभी स्थलों और घरों में पानी से साथ आई  मिट्टी व दलदल भरने से खाने पीने की वस्तुएं भी खराब हो गई हैं तथा घर , दुकाने, कारोबार सब उजड़ चुका है हो सकता है उनके परिवारों का भी कोई सदस्य लापता हो । फिर भी वहाँ के गाँव वाले सभी यात्रियों की हर संभव मदद कर रहे हैं । यह जानकर हमें देव भूमि उत्तराखंड के लोगों का धन्यवाद करना चाहिए वो सच में देव भूमि के निवासी हैं !
लेकिन यह जानकर कष्ट हो रहा है कि कुछ असामाजिक तत्व इस वक्त अपने क्षणिक लोभ और लालच में आकर तीर्थ यात्रियों के साथ साथ वहाँ के पीड़ितों को भी लूटने का बेहद आमानवीय कृत्य कर रहे हैं तथा कुछ तथाकथित व्यापारी बन मानवीय-मूल्यों को ताक में रखकर पहले से ही आपदा और प्रकृति की मार झेल रहे भूखे-प्यासे लोगों से रोजमर्या तथा खाने के वाजिब दाम की जगह दस से पचास गुना ज्यादा रूपया वसूल रहे हैं।
इस भयावह प्राकृतिक आपदा में हमारी सेना के जवानों ने यह सिद्व कर दिया है कि उनका मुकाबला इस सम्पूर्ण विश्व में दूसरा नही हो सकता हमारी सरकार और स्थानीय प्रशासन से हमारी यही उम्मीद है कि इस बचाव कार्य की रफतार धीमें ना पड़ने पायें और तीर्थ यात्रियों के साथ साथ   स्थानीय निवासीयों को भी वापस रहने लायक हर संभव सहायता मिले जिससे उन्हे आसानी हो ! देश की जनता को भी सहायता करने का कोई भी मौका और तरीका अच्छा लगे उसी प्रकार सहायता करनी चाहिए क्योंकि हमें यह याद रखना चाहिए कि इस प्रकार की त्रासदी कभी भी किसी जाती धर्म वर्ग या स्थान को देख कर नही आती ! हो सकता है आने वाले समय में हम भी इसी प्रकार भयावह प्राकृतिक आपदा या विषम परिस्थितियों  में फंस जाएँ ! किसी की मदद करने में ही सही मायने में हम अपने मानव-धर्म का पालन कर सकते हैं।
किसी भी रूप में सहायता करने वालों को पुनः धन्यवाद करता हूँ !

Monday, June 17, 2013

पाखण्ड

                 जब से मानव जन्म हुआ,  साथ रहा पाखण्ड !
                 कलयुग हो या अन्य युग , सदा रहा पाखण्ड !
             

  • ज्ञान को अपनी ढाल बनाकर ,  अज्ञानी , लिबास बदलते !

         स्वांग बनाकर तरह तरह के,   कुछ अलग दिख जाते !
         पाखण्ड की आड़ में , अपना व्यापार जमाते !
         असल ज्ञानी तो साधना में ,  लीन ही रह जाते !


  • सेठ साहूकार कर्ज देकर ,  मोटा ब्याज कमाते ! 

         दान के पंखों पर भी ,   वो अपना नाम लिखवाते !
         प्याऊ और बसेरों से वो , इन्कम टैक्स बचाते !
         परोपकार का पाखण्ड कर ,  उससे भी धन कमाते !


  • शिष्य और शोहरत पाने को ,  झूठा प्रचार करवाते !

         पहुँच और पैसों के दम पर ,  जगत में छा जाते !
         ज्ञानियों के साहित्य ग्रंथ पर ,  पाखण्डी मोहर लगाते !
         ज्ञानी को कोई याद ना रखता ,  पाखण्डी पूजे जाते !


  • माँ बाप के जाने पर  ,    जब मोटी वसीयत पाते ! 

         मीड़िया की देखा देखी ,   सफेद लिबास बनवाते !
         बरसी पर फोटो छपवाकर , इतिश्री कर जाते !
         नाम से उनके ट्रस्ट बना ,  पाखण्डी नोट कमाते !